भारत की संस्कृति को यदि किसी एक वाक्य में समाहित किया जा सकता है तो वह है, “वसुधैव कुटुम्बकम”
भारत एक भौगोलिक संरचना मात्र नहीं है, भारत एक विचार है, जो विश्वव्याप्त था। यही कारण है कि विश्व के कोने-कोने में पुरातात्विक उत्खनन में आज भी भारतीय संस्कृति के अवशेष मिलते हैं। भारत ने फिर से नई अंगड़ाई लेनी प्रारम्भ की है और भारत के भीतर ही नहीं भारत के बाहर भी भारत का विचार विकसित, पोषित और विस्तारित हो रहा है। आज हमारे पड़ोसी देश भूटान ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “नगदग पेल जी खोरलो” से पुरस्कृत किए जाने की घोषणा की है। भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री पहले ऐसे प्रधानमन्त्री हैं जिन्हें अलग-अलग देशों ने 12 अंतरराष्ट्रीय से पुरुस्कृत किया है। वर्तमान में भारत की संस्कृति और भारत की सभ्यता के प्रति जो सम्मान-भाव विश्व में विकसित हुआ है उसमें भारत के नेतृत्व भारत के कुशल नेतृत्व और संस्कृति का बहुत बड़ा योगदान है। अभी हाल ही में विश्व ने कोरोना महामारी जैसी आपदा का सामना किया है। भारत के सामने इस आपदा का सामना करने की बड़ी चुनौती थी। भारत ने न मात्र स्वयं को आपदा से बचाया अपितु अपनी सर्वे भवन्तु सुखिन: संस्कृति के अनुरूप अन्य जरूरतमन्द देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध कराकर भारत ने अपने मानवीय एवं नैतिक कर्तव्य का निर्वहन किया। इसी के साथ पर्यावरण, वैश्विक सुरक्षा, विस्तारवाद, गरीबी, स्वास्थ्य एवं आतंकवाद जैसे वैश्विक महत्व के विषयों की ओर भारतीय जीवन दृष्टि समस्त विश्व को एक वृहद परिवार के रूप में इन सब चुनौतियों का मिलकर सामना करने हेतु प्रेरित कर रही है। आज सम्पूर्ण विश्व के देश मानव कल्याण हेतु अपनी-अपनी भौगोलिक सीमाओं के परे जाकर सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का चिन्तन करने की दिशा में प्रयासरत है। यह वसुधैव कुटुम्बकम की ओर बढ़ता कदम है। भारत की यह कर्तव्यनिष्ठा और मानव कल्याण की भावना निश्चित ही इसे पुन: विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित करेगी।