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औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रह दोगुना होकर 1.66 लाख करोड़ रुपये पहुंचा

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नई दिल्ली. जीएसटी का कर आधार बढ़कर दोगुना हुआ है और इस वर्ष औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रह बढ़कर लगभग दोगुना यानी 1.66 लाख करोड़ रुपये हो गया है. केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा कि भारत में अत्यंत विभाजित अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को एकीकृत करके व्यापार और उद्योग पर अनुपालन का बोझ जीएसटी आने से कम हो गया है.

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 की अवधि के दौरान, संचयी सकल जीएसटी संग्रह में वार्षिक आधार पर 11.6% की वृद्धि हुई है. यह अप्रैल से जनवरी के दौरान 16.69 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई. पिछले वर्ष की इसी अवधि, अप्रैल 2022-जनवरी 2023 के बीच जीएसटी के रूप में 14.96 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे.

जनवरी 2024 में एकत्र किया गया सकल जीएसटी राजस्व रु. 1,72,129 करोड़ है, जो जनवरी 2023 में एकत्र रु. 155,922 करोड़ के राजस्व से 10.4% की वृद्धि दर्शाता है. यह अब तक का दूसरा सबसे अधिक मासिक जीएसटी संग्रह है और इस वित्तीय वर्ष में तीसरे महीने 1.70 लाख करोड़ रुपये या उससे अधिक का जीएसटी संग्रह किया गया है. अवधि के दौरान सरकार ने आईजीएसटी संग्रह में सीजीएसटी के रूप में 43,552 करोड़ रुपये और एसजीएसटी मद में 37,257 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया.

अप्रैल 2023 में अब तक का सर्वाधिक जीएसटी कलेक्शन किया गया था. उस दौरान जीएसटी के रूप में 1.87 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे.

वित्त मंत्री ने संसद में कहा कि ‘एक अग्रणी परामर्शदाता कंपनी द्वारा हाल ही में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 94 प्रतिशत शीर्ष उद्योगपति जीएसटी में हुए परिवर्तन को व्‍यापक स्‍तर पर सकारात्मक मानते हैं और सर्वेक्षण में प्रश्नों के उत्तर देने वाले 80 प्रतिशत प्रतिभागियों ने स्‍वीकार किया है कि इससे आपूर्ति श्रृंखला बेहतर हुई.’

राज्यों के राजस्‍व में वृद्धि का संकेत देते हुए वित्‍त मंत्री ने कहा कि राज्यों को जारी किए गए मुआवजे़ सहित राज्‍यों के एसजीएसटी राजस्व का तेज उछाल वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक जीएसटी के बाद की अवधि में 1.22 रहा. जबकि वर्ष 2012-13 से 2015-16 की जीएसटी पूर्व के चार वर्षों में राजस्‍व टैक्स में उछाल केवल 0.72 था. केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री ने कहा कि जीएसटी से उपभोक्‍ता सर्वाधिक लाभान्वित हुए हैं, क्‍योंकि लॉजिस्टिक तंत्र और करों में कमी के कारण अधिकतर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी आई है.

अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार को सुगम बनाने के लिए उठाये गए कदमों से वर्ष 2019 से अ‍ब तक के चार वर्षों के दौरान इनलैंड कंटेनर डिपो में आयात जारी करने की समयावधि 47 प्रतिशत कम होकर केवल 71 घंटे रह गई. एयर कार्गो परिसरों में 28 प्रतिशत कम होकर 44 घंटे और बंदरगाहों में 27 प्रतिशत कम होकर 85 घंटे रह गई.