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संस्कारों को बचाने के लिए सुगंधा शुक्ला ने लिया संकल्प

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लखीमपुर

आज के समय में आधुनिकता के बढ़ते प्रभाव में बच्चे अपनी भारतीय संस्कृति और परंपराओं से दूर और अपने जड़ो से कटते जा रहे है। इसलिए ऐसे समय में संस्कारों को बचाना और अगली पीढ़ी तक पहुँचाना बहुत आवश्यक हो गया है। इसी उद्देश्य को लेकर लखीमपुर की सुगंधा शुक्ला ने एक सकारात्मक कदम बढ़ाया और समाज में संस्कारों को दोबारा जीवित करने का संकल्प लिया, जी हां लखीमपुर की सुगंधा शुक्ला ने वर्ष 2017 में “मां गायत्री बाल संस्कारशाला” की स्थापना की। एमए और बीएड करने के बाद भी वह गृहिणी के रूप में रहते हुए बच्चों को भारतीय संस्कृति का पाठ पढ़ा रही हैं।


उनकी बेटी निमिल शुक्ला, जो बॉटनी में एमएससी कर रही हैं, भी इस कार्य में उनका सहयोग करती हैं। संस्कारशाला में हर रविवार दो घंटे बच्चों को शिष्टाचार, दिनचर्या और आदर्श जीवनशैली की शिक्षा दी जाती है। यहां उन्हें खान-पान, योगाभ्यास, प्रार्थना, भोजन मंत्र, गायत्री मंत्र और महापुरुषों के जीवन से जुड़ी बातें सिखाई जाती हैं। बच्चे अब ‘हाय-हेलो’ की बजाय ‘नमस्ते’ और पैर छूकर प्रणाम करना सीख रहे हैं । सुगंधा शुक्ला का मानना है कि अच्छे संस्कार ही बच्चों को मजबूत बनाते हैं और यही बच्चे आगे चलकर समाज को सही दिशा देंगे, जिससे समाज का उत्थान होगा।