- दो दिन गुप्त मंत्रों से होगी पूजा, वेद ऋचाओं का वाचन भी
उत्तराखंड। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने का आयोजन इस वर्ष 17 नवंबर 2024 को रात 9:07 बजे संपन्न होगा। कपाट बंद होने से पहले पांच दिवसीय विशेष पूजन और धार्मिक अनुष्ठान जारी हैं, जो बद्रीनाथ धाम की समृद्ध आध्यात्मिक परंपराओं का हिस्सा हैं।
पंच पूजन का क्रम:
13 नवंबर - भगवान गणेश की विशेष पूजा और उनके मंदिर के कपाट बंद किए गए। 14 नवंबर - आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद किए गए। 15 नवंबर - वेद पुस्तकों और खडग की पूजा संपन्न हुई, जिसमें वेद ऋचाओं का वाचन भी किया गया। 16 नवंबर - मुख्य पुजारी (रावल) ने मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित किया। 17 नवंबर - मुख्य कपाट विधि-विधान के साथ बंद होंगे।
शीतकालीन प्रवास:
18 नवंबर - भगवान कुबेर, उद्धव जी, और रावल की गद्दी पांडुकेश्वर स्थित मंदिरों में शीतकालीन प्रवास के लिए ले जाई जाएगी। 19 नवंबर - आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर, जोशीमठ पहुंचेगी, जहां पूरे शीतकाल में विशेष पूजन होगा।
तीर्थयात्रा के आंकड़े:
इस वर्ष बद्रीनाथ यात्रा में रिकॉर्ड 13.6 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं, और यह संख्या 14 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। बढ़ती तीर्थयात्रा ने उत्तराखंड के पर्यटन को बढ़ावा दिया है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरणीय चुनौतियां भी उभर रही हैं।
आध्यात्मिक महत्त्व:
कपाट बंद होने से पहले वेद ऋचाओं और गुप्त मंत्रों का पाठ किया गया, जो धार्मिक परंपरा का अहम हिस्सा है। यह आयोजन भगवान बद्रीविशाल की कृपा और धाम की पवित्रता को बनाए रखने का प्रतीक है।